मारुति की वैगन आर ई वी परियोजना अपने तकनीकी और लागत लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाई और इस से सीखे गए सबक से मारुति ने बिल्कुल नए ई वी आर्किटेक्चर पर काम शुरू कर दिया है जिसके प्लेटफार्म का कोड नेम के-ईवी है और इसके राइवल्स हुंडई के ईवी प्लेटफार्म का कोडनेम वाई वाई 8 है इसे टोयोटा के ग्लोबल प्लेटफार्म 40PL से लिया गया है।
मारुति सुजुकी ईडब्ल्यूएक्स पर बनी ईवी
सूत्रों से पता चला है की अब मारुति अपनी नई ईवी गाड़ी पहले बना रही kev ic प्लेटफार्म पर नही बनाएगी इसे ग्राउंड अप स्केटबोर्ड पर बनाया जाएगा जिसपर नई कॉम्पैक्ट ev बनेगी हालांकि कंपनी ने भविष्य में बनने वाली गाड़ी की कोई सूचना नहीं दी है लेकिन कंपनी की रणनीति देखते हुए सभी मारुति की ev गाड़ियां k-ev प्लेटफार्म पर बनेगी ना की ic प्लेटफार्म पर।
K ev के लिए निर्धारित लागत लक्ष्यों को पूरा करना महत्वपूर्ण है इसमें बैटरी सेल्स का बदलना भी शामिल होगा वर्तमान में मारूति में अपने हाइब्रिड के लिए तोशिबा और डेंसो के साथ बैटरी उधम स्थापित किया है और आने वाली मारुति की हैचबैक और मिड साइज एसयूवी के बैटरी सेल की आपूर्ति के लिए Byd के साथ समझोता किया है।
मारुति की पहली इलेक्ट्रिक एसयूवी का उत्पादन 2024 में शुरू हो जाएगा और 2025 में भारतीय बाजार में लॉन्च होने की उम्मीद है दो अलग अलग आर्किटेक्चर प्लेटफार्म पर बनी मारुति को अधिक लोकप्रियता दिला सकती है।
मारुति हैचबैक के प्रतिद्वंदी
मारुति के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी टाटा मोटर्स है क्योंकि टाटा मोटर्स साल में लगभग 10,000 से 15,000 तक टिआगो ev सेल कर रही है और एमजी की कोमेट ev एंट्री लेवल पर अपनी पकड़ बना सकता है हालांकि मारुति भी अपनी हैचबैक के लॉन्च होने पर एंट्री लेवल में अपनी पकड़ बना सकती है।
मारुति सुजुकी ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए 10,000 करोड़ से अधिक रुपए निवेश करने की घोषणा की है जो नई ev इकाई बनाना और वाहनों का निर्माण करना दोनो में काम आएगा मारुति की योजना दस सालो में लगभग 6 गाड़ियां बाजार में लॉन्च करने की है और 2031 तक अपनी कूल सेल्स का पंद्रह प्रतिशत या पांच लाख ev गाडियों को बेचने की उम्मीद है।
मारुति सुजुकी के द्वारा जनवरी 2023 में पेश किए गए उत्पादन स्कैच में एसयूवी, एमपीवी, हैचबैक को पांच साल के अंदर पेश किया जाना है जिसमें इलैक्ट्रिक कारों की हिस्सेदारी 2% होगी 2023 में कमर्शियल इलैक्ट्रिक वाहनों को लगभग 82000 बिक्री हुई है जिसमें टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी 73% से अधिक रही है।
टाटा मोटर्स ने एक महीने में लगभग 1000 से 1500 गाड़ी बेची है टिआगो ev और पेट्रोल ev के बीच कीमत 35% है इसी स्तर को देखते हुए मारुति को अपनी कीमत और सुविधाओ दोनो पर प्रतिस्पर्धा करने पड़ेगी।
Ev गाडियों को लेकर वाहन निर्माताओं द्वारा लगभग 1 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया गया है और आने वाले समय में गाडियों के पार्ट्स बनाने वाली कंपनियां और पार्ट्स बेचने वाली कंपनियों के द्वारा भी एक लाख करोड़ रुपए निवेश किए जाने की संभावना है।
भारत सरकार भी इसमें मदद कर रही है उन्होंने इलेक्ट्रिक वाहनों पर पांच प्रतिशत जीएसटी के रूप में समर्थन की पेशकश की है और भविष्य में ev गाडियों के उत्पादन में लिए प्रोत्साहन योजना के तहत और लाभ और सहयता देने की योजना बनाई है जिससे देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ने में मदद मिले और पर्यावरण को भी बचाया जा सके।
टाटा पैसेंजर के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के एमडी का मानना है की अधिक मांग के कारण बैटरी की कीमतें गिरी है जिससे इलेक्ट्रिक वाहन की कीमतें पेट्रोल डीजल इंजन के वाहनों के बराबर आ सकती है मारुति सुजुकी भले देर से इलेक्ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में कदम रख रही है लेकिन इसने आने वाली बाधाओं को अच्छी तरह से समझ लिया है जो इसे इलेक्ट्रिक वाहनों के अपने प्रतिद्वंदियों से टक्कर लेने में मदद करेगा।
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